Ahoi Ahstami 2021 -: अपना भारत देश पूरे विश्वभर में अपनी अनोखी संस्कृति व परम्पराओं के लिए जाना जाता है। यह देश भिन्न भिन्न परम्पराओं और त्योहारों का देश है। यहाँ सभी त्योहार हमारे संस्कारों तथा वैदिक परंपराओं को आज की पीड़ी तक पहुँचाने का एक माध्यम बने हुये हैं। इन में से एक त्योहार अहोई अष्टमी (Ahoi Ahstami 2021) का है, जिसमे सभी माताएं अपनी संतान की दीर्घ आयु और सुखी तथा मंगलमय जीवन के लिए निर्जला उपवास रखती हैं।
अहोई अष्टमी क्या है ? What is Ahoi Ashtami ?
हर साल कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई माता का व्रत रखा जाता है। इस दिन माता अहोई के साथ में भगवान शंकर और माता पार्वती की पुरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। अहोई अष्टमी (Ahoi Ahstami 2021) का व्रत संतान प्राप्ति, उसकी लंबी आयु और खुशहाली के लिए किया जाता है। माताएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और प्रदोष काल में अहोई माता की विधि विधान से पूजा करती हैं। अहोई अष्टमी के पर्व को खासतौर पर उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह व्रत दीपावली (Deepawali) से ठीक एक सप्ताह पहले आता है।
अहोई अष्टमी की कथा | Ahoi Ashtami vrat katha in Hindi
Ahoi Ashtami पर्व की कथा है। वैसे जो कथा आप यहाँ पढ़ेंगे उसके अलावा भी कुछ कथाएं प्रचलित है। इन कथाओं को पूजा करते समय व्रत करने वाली स्त्रियां एक दुसरे को सुनाती हैं। Ahoi Ashtami से सम्बंधित प्रचलित इस प्रकार है :
बहुत पहले की बात है प्राचीन काल में एक साहुकार था। साहूकार के सात बेटे और सात बहुएं थी। साहुकार की एक बेटी भी थी जो दिवाली के त्यौहार को मनाने अपने ससुराल से मायके आई थी I दीपावली पर घर की लिपाई पुताई करने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो उनकी वह ननद भी उनके साथ जंगल की ओर चल पड़ी। साहुकार की बेटी जिस स्थान से से मिट्टी ले रही थी
उसी स्थान पर स्याहु अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। जब साहूकार की बेटी मिट्टी की खुदाई कर रही थी तो खोदते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी से स्याहू का एक बच्चा मर गया। इस घटना से दुखी होकर स्याहू की माता ने साहूकार की बेटी को कभी भी मां न बनने का श्राप दे दिया। उस श्राप के प्रभाव से साहूकार की बेटी का कोख बंध गया।
श्राप से साहूकार की बेटी दुखी हो गई। साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभीयों से एक एक करके विनती करती हैं कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। अपनी ननद की विनती सुनकर सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। उस श्राप के दुष्प्रभाव से उसकी भाभी की संतान केवल सात दिन ही जिंदा रहती थी। जब भी वह कोई बच्चे को जन्म देती, वह सात दिन में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। वह परेशान होकर एक पंडित से मिली और उपाय पूछा। पंडित ने उसको सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी।
Ahoi Ahstami 2021 : अहोई अष्टमी क्या है। अहोई अष्टमी पूजा कैसे करें।
सुरही गाय सेवा से प्रसन्न होती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं। अचानक साहुकार की छोटी बहू की नज़र एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है
और वह सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहु ने उसके बच्चे के मार दिया है। इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है। छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है।
स्याहू की माता जब साहूकार की छोटी बहू की परोपकार और सेवाभाव की बातें सुनती है तो प्रसन्न होती है। फिर उसे सात संतान की माता होने का आशीर्वाद देती है। आशीर्वाद के प्रभाव से साहूकार की छोटी बहू को सात बेटे होते हैं, जिससे उसकी सात बहुएं होती हैं। उसका परिवार बड़ा और भरापूरा होता है। वह सुखी जीवन व्यतीत करती है।
अहोई अष्टमी का अर्थ एक प्रकार से यह भी होता है “अनहोनी को होनी बनाना” जैसे साहुकार की छोटी बहू ने कर दिखाया था। बोलो अहोई माता की जय
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अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ahstami 2021 Vrat Vidhi
उत्तर प्रदेश, हरियाणा व उत्तर भारत के अन्य राज्यों में
अहोई अष्टमी का व्रत इस तरह से मनाया जाता है :
- प्रातः काल (सूर्योदयः से पहले) सुबह जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद
- कुछ फल इत्यादि खायें
- और व्रत रखने का संकल्प लें।
- अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं
- और साथ ही सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं।
- सायंकाल के समय पूजन के लिए अहोई माता के चित्र के
- सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश रखें।
- घर के मंदिर में भी पूजा की जाती है
- और आप बाहर किसी मंदिर में भी पूजा का आयोजन कर सकती है।
- इसके बाद रोली-चावल से माता की पूजा करें
- तथा मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं।
- शाम के समय, बच्चों के साथ बैठकर अहोई अष्टमी माता की पूजा करते है।
- कलश पर स्वास्तिक बना लें और हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें।
कथा सुनने के उपरान्त तारों को अर्घ्य देकर - अपने से बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद जरूर लें।
अहोई अष्टमी पूजा के के लिए सामग्री (Ahoi Ahstami 2021 Pooja samagri)
- Ahoi Ahstami 2021 Pooja लिये
- आपको चावल,
- रोली,
- मोली
- अथवा धूप की नाल
- की आवश्यकता होती है है।