
EPS Pention Scheme 2023: ज्यादा कर्मचारी ऐसे होते है जिन्होंने लगातार एक साथ एक ही संस्थान में काम नहीं किया होता है। ऐसे में यदि एक कर्मचारी जिसने 5 साल एक संस्थान में कार्य किया है और फिर कुछ समय का गैप देकर फिर से किसी दूसरे संस्थान में नौकरी है। ऐसे में उस कर्मचारी ने कार्य तो पुरे 10 साल किया है लेकिन बीच में में गैप होने के कारण क्या वो EPS (Employee Pension Scheme) का हक़दार होगा। या फिर उस कर्मचारी को पेंशन नहीं मिलेगी। और अगर मिलेगी तो उसकी पूरी प्रकिर्या क्या होगी। जानेंगे इस आर्टिकल में कैसे आप गारंटेड पेंशन पा सकते है।

EPS 2023 के नियम क्या है?
प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत कर्मचारियों के लिए भारत सरकार की और से EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) विभाग बनाया हुआ है। ये विभाग हर कर्मचारी की सैलरी से हर महीने 12 प्रतिशत हिस्सा पीएफ के तौर पर जमा करता है। इसमें 12 प्रतिशत कर्मचारी का हिस्सा तो सीधे पीएफ अकाउंट होता है लेकिन इसके अलावा नियोक्ता यानि जिस संस्था में कर्मचारी कार्य कर रहा है उसका भी हिस्सा साथ में जमा होता है।
जो नियोक्ता का हिस्सा होता है उसमे से 8.33 प्रतिशत हिस्सा EPS (Employee Pension Scheme) में जमा होता रहता है। EPS (Employee Pension Scheme) के तहत पेंशन पाने के लिए कर्मचारी के खाते में 10 साल का ये कंट्रीब्युसन होना आवश्यक है।
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इस जमा राशि वाले खाते के लिए EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) की तरफ UAN नंबर प्रत्येक कर्मचारी को दिया जाता है। इस UAN (Universal Account Number) नंबर से ही कर्मचारी की पेंशन की गणना की जाती है। अगर इस UAN (Universal Account Number) नंबर में कर्मचारी का 10 साल तक हिस्सेदारी होती है तो वो पेंशन पाने का हकदार हो जाता है।
कौन कौन कर्मचारी EPS के पात्र नहीं होते।
जिन कर्मचारियों ने प्राइवेट सेक्टर में कार्य तो 10 साल या इससे अधिक किया है लेकिन लगातार उन्होंने अपना अलग अलग UAN (Universal Account Number) रखा है। यानि की अलग अलग कंपनियों में कार्य के दौरान अपना UAN (Universal Account Number) नंबर भी बदल लिया है। ऐसे कर्मचारी EPS के दायरे में नहीं आते।
कौन कौन कर्मचारी आते है इसके दायरे में।
जिन कर्मचारियों ने 10 साल या इससे अधिक प्राइवेट सेक्टर की किसी भी संस्था में कार्य किया है और जिन्होंने कम से कम 10 साल EPS (Employee Pension Scheme) में अपना योगदान दिया हो। ये जरुरी नहीं की वो योगदान लगातार हो। लेकिन योगदान एक ही UAN (Universal Account Number) के अंतर्गत होना जरुरी है।
वे सभी कर्मचारी ईपीएस योजना के तहत पेंशन पाने के अधिकारी होते हैं। अगर किसी कर्मचारी ने 9 साल और 6 महीने अपना योगदान दिया है तो उसको भी 10 साल मानकर EPS (Employee Pension Scheme) का हकदार माना जाता है।
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सरकार ने ईपीएस में क्या बदलाव किये।
पहले ये जरुरी होता था की EPS (Employee Pension Scheme) में वही कर्मचरी शामिल होंगे जिन्होंने लगातार किसी एक ही संस्था में कार्य किया हो। लेकिन सरकार की तरफ से UAN (Universal Account Number) जारी होने के बाद ये नियम बदल दिया गया है। अब ये जरुरी नहीं की कर्मचारी ने लगातार एक हि सँस्था में कार्य किया हो। लेकिन ये जरुरी है की संस्था बदलने के बाद आपका वही शुरू वाला UAN (Universal Account Number) चालू रहना चाहिए।
यानि जिस UAN (Universal Account Number) के अंतर्गत पहले वाली नौकरी में आपका EPS (Employee Pension Scheme) योगदान हो रहा था उसी UAN (Universal Account Number) में दूसरी कंपनी का योगदान भी होना जरुरी है। इसमें बीच में गैप आने पर भी ईपीएस में शामिल कर लिया जाता है और कर्मचारी को पेंशन का हक़दार माना जाता है।