
भगवान् सत्यनारायण श्री हरी विष्णु के ही रूप है। उनकी पूजा करने मात्र से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है साथ में घर में सुख समृद्धि, धन वैभव की बढ़ोतरी होती है। पूर्णिमा के दिन भगवान् सत्यनारायण की पूजा करने का अपना एक अलग ही महत्व है। इस दिन पूजा करने से पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। वैसे सत्यनारायण पूजा सुबह या शाम के समय कभी भी करवा सकते है लेकिन अगर शाम के समय भगवान् सत्यनारायण कथा और पूजा करते है तो इसको सबसे अच्छा माना जाता है।

सत्यनारायण पूजा के लिए तिथि
- छह जनवरी- पौष पूर्णिमा
- पांच फरवरी- माघ पूर्णिमा
- सात मार्च- फाल्गुन पूर्णिमा
- पांच अप्रैल- चैत्र पूर्णिमा
- पांच मई- वैशाख पूर्णिमा
- तीन जून- ज्येष्ठ पूर्णिमा
- 3 जुलाई- आषाढ़ पूर्णिमा
- एक अगस्- श्रावण पूर्णिमा
- तीस अगस्त- श्रावण पूर्णिमा
- उन्नितिस सितंबर- भाद्रपद पूर्णिमा
- 28 अक्टूबर- अश्विन पूर्णिमा
- 27 नवंबर- कार्तिक पूर्णिमा
- 26 दिसंबर- मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सत्यनारायण पूजा की विधि
सत्यनारायण पूजा के लिए कुछ नियम जरुरी होते है जिनको आपको फॉलो करना चाहिए। सत्यनारायण पूजा वाले दिन आपको सुबह जल्दी उठना है
सुबह जल्दी उठकर स्नान करना है। इसके बाद आपको सभी जरुरी सामग्री पूजा स्थल पर रख लेनी है। इसके बाद आपको विधिपूर्वक एक चौकी पर भगवान् सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करनी होगी। चौकी के चारो और केले के पते बांधने के साथ आपको प्रशाद के रूप में पंचामृत को बनाना है। इसके बाद आपको एक जल कलश पूजा चौकी के पास भरकर रखना है। ध्यान रखे कलश में जो जल आप ले रहे है वो ताजा जल होना चाहिए इसके बाद आपको पूजा स्थल पर एक शुद्ध घी का दीपक जलाना है। ये सब करने के बाद आपको भगवान् सत्यनारायण को चन्दन का तिलक करना है । फिर आपको विधिपूर्वक भगवान् सत्यनारायण की पूजा करनी है। इसमें आपको व्रत की कथा सुनना है और इसके बाद आरती होगी। पुरे दिन आपको मन में अच्छे विचार रखने है। शाम होने पर पंचामृत से व्रत का पारण करेंगे
सत्यनारायण पूजा का महत्व
भगवान् सत्यनारायण भगवान् श्री हरी विष्णु जी के ही रूप है। उनकी पूजा करने से घर में शांति बनी रहती है। इसके साथ ही घर में हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस व्रत को करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है।